बैसाखी का त्यौहार कब है 2022 में | बैसाखी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है| When is Vaisakhi or Baisakhi Festival 2022|

Baisakhi Festival : वैसाखी को बैसाखी भी कहा जाता है। यह सिख धर्म के लोग बहुत धूमधाम और ख़ुशी से बैसाखी का त्यौहार (Baisakhi Festival) मानते है। हर साल बैसाखी का त्यौहार 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन पकी हुए फसल को कटने की शुरुआत होती है। 13 अप्रैल 1699 के दिन सिख पंथ के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और आज के दिन से ही पंजाबी नए साल की शुरुआत करते है। और इस दिन ही सूरज मेष राशि में प्रवेश करता है। बैसाखी के समय में ही आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है और यह विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के कारण इसको वैसाखी कहा जाता है।

Baisakhi festival
Vaisakhi festival

बैसाखी कब है 2022 में? (When is Baisakhi Festival in 2022)

इस साल बैसाखी का त्यौहार 14 अप्रैल दिन गुरूवार को मनाया जायेगा। Vaisakhi Sankranti का शुभ समय सुबह को 08 बजकर 56 मिनट पर पड़ेगा।

बैसाखी कैसे और क्यों मनाई जाती है ? (Why is Baisakhi celebrated?)

अप्रैल महीने में तेज धुप होने के कारण फसल जल्दी पक जाती है और गर्मी की शुरुआत हो जाती है। जिससे बढ़ती गर्मी से रबी की फसल पक जाती है। और किसान इस ख़ुशी को उत्सव की तरह मनाते है।

बैसाखी आने के पहले से ही लोग घर की सफाई करते है। इस दिन कई तरह के पकवान बनाते है और घरो को लइटो और रंगोलियों से सजाते है। बैसाखी के पर्व पर सिख लोग नहा कर गुरुद्वारे जाते है और गुरुग्रंथ का पाठ और कीर्तन करते है।

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बैसाखी पर्व महत्त्व (Baisakhi or Vaisakhi Festival Importance)

बैसाखी का पर्व किसानो का प्रमुख त्योहार होता है, किसान इस दिन अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देते है.

बैसाखी त्योहार का इतिहास (Baisakhi or Vaisakhi festival History)

यह कथा महाभारत के पांडवो के समय की है. बताया जाता है कि जब अपने वनवास के समय पांडव पंजाब के कटराज ताल पहुचे, तो उन्हे बड़ी जोरों की प्यास लगी।

अपनी प्यास को बुझाने युधिष्ठिर को छोड़कर चारो भाई जिस सरोवर के पास पहुचे, वहा के जल का पान उन्होने यक्ष के मना करने के बाद भी किया, परिणाम स्वरूप उन चारो की मृत्यु हो गयी। जब बहुत देर तक अपने भाइयो को वापस आता ना देख युधिष्ठिर को अपने भाइयो की चिंता हुई और वे उनकी तलाश मे निकल पड़े।

जब युधिष्ठिर भी उस तालाब के पास पहुचकर पानी पीने के लिए आगे हुये तब यक्ष पुनः आए और युधिष्ठिर से कहने लगे की पहले मेरे प्रश्नो का उत्तर करे, फिर ही आप पानी पी सकते है।यक्ष प्रश्न करते गए और युधिष्टिर उत्तर देते गए यक्ष ने उनसे प्रसन्न हुये। उन्हे अपने भाइयो के मृत होने की बात बताई और कहा कि आपके भाइयो मे आप किसी एक को जीवित करवा सकते है।

तब यीधिष्ठिर ने अपने भाई सहदेव को पुनर्जीवित करने की प्रर्थना की यक्ष ने आश्चर्य से पूछा, कि अपने सगे भाइयो को छोड़कर अपने सौतेले भाई को जीवित करवाने की मांग आपने क्यू की तब युधिष्ठिर ने उत्तर मे कहा की, माता कुंती के 2 पुत्र जीवित रहे, इससे अच्छा होगा की माता माद्री का भी एक पुत्र जीवित रहे, युधिष्ठिर की बात से यक्ष प्रसन्न हुये और उन्होने उनके चारो भाइयो को जीवन दान दिया। तब से ही इस दिन पवित्र नदी के किनारे विशाल मेला लगता है और जुलूस भी निकलता है और जुलूस मे पाच प्यादे नंगे पाव सबसे आगे चलते है और बैसाखी का त्योहार उत्साह से मनाया जाता है।

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