Angarki Sankashti Chaturthi 2024: हिंदू धर्म में व्रत का काफी महत्व है। साल में हिंदुओं के जरिए कई व्रत किए जाते हैं। इनमें अंगारकी चतुर्थी का व्रत भी काफी महत्व रखता है। संकष्टी चतुर्थी हर महीने में दो बार आती है। यह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के चौथे मनायी जाती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
उत्तरी भारत में माघ माह के दौरान पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही भाद्रपद माह के दौरान पड़ने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु में संकष्टी चतुर्थी को गणेश संकटहरा (Ganesh Sankathara) या संकटहरा चतुर्थी (Sankathara Chaturthi) के नाम से भी जाना जाता है।
अगर चतुर्थी मंगलवार दिन पड़ती है तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। पश्चिमी और दक्षिणी भारत में और विशेष रूप से महाराष्ट्र और तमिलनाडु में संकष्टी चतुर्थी का व्रत अधिक प्रचलित है
मान्यता है कि भगवान गणेश का ये व्रत करने से श्रीगणेश की कृपा पाई जा सकती है और साथ ही मनोकामना भी पूरी की जा सकती है. इस व्रत को रखने से जीवन में निरंतर सफलता हासिल की जा सकती है.
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी कब है 2024 में (Angarki Sankashti Chaturthi kab hai 2024 mein)
- इस बार अंगारकी संकष्टी चतुर्थी का व्रत 25 जून को रखा जाएगा। वहीं 25 तारीख को मंगलवार है।
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी का व्रत
इस व्रत के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है. इसके बाद भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापना की जाती है. वहीं व्रत का संकल्प लेकर भगवान गणेश की षोड़शोपचार पूजा की जाती है. पूजा के दौरान भगवान गणेश की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं और गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं.
वहीं भगवान गणेश को मोदक काफी प्रिय है. इसके लिए बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग भी भगवान गणेश को लगाएं और साथ ही इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रखें. साथ ही 5 लड्डू ब्राह्मण को दान कर दें और बाकी लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें. इस चतुर्थी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा भी दें. वहीं शाम को खुद भोजन करें.