Ratha Saptami 2025: माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अचला सप्तमी (Achala Saptami) या रथ सप्तमी (Ratha Spatami) कहते हैं। इस दिन भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव की साधना-आराधना का अक्षय फल मिलता है। सच्चे मन से की गई साधना से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य अपने भक्तों को सुख-समृद्धि एवं अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। रथ सप्तमी को ‘माघ सप्तमी‘ (Magha Saptami), ‘माघ जयंती‘ (Magha Jayanti) और ‘सूर्य जयंती‘ (Surya Jayanti) के नाम से भी जाना जाता हैं।
रथ सप्तमी का अर्थ है सूर्य देवता के रथ की पूजा। इस दिन सूर्य देवता का रथ सात घोड़ों द्वारा खिंचा जाता है, जो सप्त रंगों को प्रतिनिधित्व करते हैं। इन सात घोड़ों का अर्थ है विभिन्न रंगों का प्रतिनिधित्व करना, जैसे कि इंद्रधनुष के सात रंग। ये सात घोड़े सप्ताह के सात दिनों को प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनकी शुरुआत रविवार से होती है, जो सूर्य देवता के दिन होते हैं। इस रथ के बारह पहिये होते हैं, जो ज्योतिष राशियों की बारह चिह्नित करते हैं, जो सम्पूर्ण वर्ष को दर्शाते हैं। सूर्य का अपना खुद का घर सिंह राशि में होता है और वह हर महीने एक घर से दूसरे घर में जाता है, जिसका पूरा चक्र 365 दिन में पूरा होता है।
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इस दिन भक्ति भाव से किए गए पूजन से प्रसन्न होकर सूर्यदेव अपने भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं, इसीलिए इसे आरोग्य सप्तमी (Arogya Saptami) भी कहते हैं।
मान्यता है कि अगर इस दिन स्नान कर नए कपड़े पहन पूरी साधना के साथ सूर्य देव की पूजा की जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है। सूर्य देव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को उनकी इच्छा पूरी होने का वरदान देते हैं।
रथ सप्तमी कब है ?(Ratha Saptami kab hai 2025 mein)
इस साल 2025 में रथ सप्तमी 4 फरवरी, मंगलवार को पड़ेगी।
रथ सप्तमी 2025 (Rath Saptami 2025): | 4 फरवरी, मंगलवार |
रथ सप्तमी 2026 (Rath Saptami 2026): | 25 जनवरी,रविवार |
रथ सप्तमी शुभ मुहूर्त 2025 (Rath Saptami Shubh Muhurat 2025)
रथ सप्तमी का शुभ मुहूर्त 4 फरवरी, मंगलवार को सुबह के 5 बजकर 23 मिनट से शुरू हो कर सुबह के 7 बजकर 08 मिनट तक है। जो कि 1 घंटा 45 मिनट तक है।
रथ सप्तमी पूजा विधि (Rath Saptami Puja Vidhi)
अचला सप्तमी के दिन स्नान करके सूर्य का दर्शन एवं उन्हें ‘ॐ घृणि सूर्याय नम:‘ कहते हुए जल अर्पित करें। सूर्य की किरणों को लाल रोली, लाल फूल मिलाकर जल दें।
सूर्य को जल देने के पश्चात् लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके इस मंत्र का 108 बार जाप करें ।
”एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।”
ऐसा करने से सूर्य देवता की कृपा मिलेगी और आपको सुख-समृद्धि और अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होगा। आपको किए गए कार्य का फल शीघ्र मिलने लगेगा और आपके अपयश दूर हो जाएंगे साथ ही आपके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होगा और आप सफलता के मार्ग पर बढ़ने लगेंगे।
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