Yogesh Kimothi: कोरोना वायरस ने सभी लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। पूरा देश भी इससे पूरी तरह प्रभावित रहा है। कई कंपनियां बंद हो गयी। कई लोगों का रोज़गार चला गया। तो कई लोग अपनी शहरों की नौकरी छोड़ कर अपने गांव की तरफ वापस चल दिये।
इसी बीच कई लोगों ने अपना खुद का काम करने की ठानी और किया भी। आज हम आपके लिये लायें हैं एक ऐंसे ही शख्स की कहानी, जिसने कोरोना काल में अपनी IT कंपनी की नौकरी छोड़ी और गांव में नये तरीके से खेती करने की सोची।
हम बात कर रहे हैं योगेश किमोठी की। जोकि उत्तराखंड के चमोली डिस्ट्रिक्ट के किमोठा गांव का रहने वाला है। किमोठा गांव को संस्कृत ग्राम के नाम से भी जाना जाता है। योगेश एक आईटी कंपनी में रीजनल मैनेजर की पोस्ट पर काम कर रहा थे। अच्छी सैलरी थी सब कुछ था। इसी बीच कोरोना हुआ और सब कुछ बंद हो गया। हालाँकि योगेश के पास जॉब थी पर योगेश बंद कमरे के अंदर बैठ कर काम नहीं करना चाहता थे और शहर की प्रदूषण भरी जिंदगी से भी निकलना चाहते थे।
योगेश को पहले से ही नये तरीके से खेती करने में काफी रूचि थी। अपनी रूचि को अपना पेशा बनाने के लिये योगेश ने अपनी आईटी कंपनी की जॉब छोड़ दी और अपने गांव किमोठा चले गये। जहाँ उनके बहुत सारे पुस्तैनी खेत पड़े थे जोकि बंज़र हो चुके थे। योगेश ने इन बंजर पड़े खेतों को जोता और फिर से इन्हें खेती योग्य बना दिया।
फूलों की खेती
योगेश ने इन खेतों में बहुत प्रकार के फूल लगाये हैं जिनमे मुख्य रूप से ग्लेडियोलस, गुलाब, गेंदा के फूल हैं। इसके साथ ही योगेश ने कई प्रकार की सब्ज़ियां भी लगायी है।
सब्ज़ियों की खेती
फूलों के साथ-साथ योगेश ने कई प्रकार की सब्ज़ियां भी लगायी है। जिसमे पत्ता गोभी, बीन्स, शिमला मिर्च, टमाटर आदि मुख्य हैं। साथ ही साथ बड़ी इलायची, हरी इलायची, तेज पत्ता और दालचीनी भी लगायी है।
योगेश ने अपने ही खेती के आस-पास की जमीन जिसमे सब्ज़ियां और फूल नहीं लगाये जा सकते थे उसमे सेब, नाशपाती, बेर, आड़ू, खूबानी के पेड़ लगाये हैं।
योगेश का कहना है कि वे धीरे-धीरे इसे और बड़े पैमाने पर करेंगें। और खाली पड़ी जमीन लेकर वहां भी सब्ज़ियों का उत्पादन करेंगें।
होम स्टे की शुरुआत
खेती के बढ़ते कारोबार के साथ साथ योगेश ने होम स्टे सर्विस भी शुरू की है। किमोठा गांव की लोकेशन देख कर योगेश के मन में होम स्टे काम भी शुरू करने का ख्याल आया।
किमोठा से कार्तिक स्वामी मंदिर (Kartik Swami Temple) की दूरी लगभग 22 किलोमीटर है। तुंगनाथ मंदिर (Tungnaath Temple) मात्र 17 किलोमीटर दूर है जिसमे 5 किलोमीटर सड़क मार्ग है बाकी 12 किलोमीटर पैदल रास्ता है। वहीँ सुनेरा बुग्याल (Sunera Bugyal) केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर है। नागनाथ (Naagnath) 9 किलोमीटर, बामनाथ (Baamnath) 15 किलोमीटर, बसुकेदार मंदिर (Basukedar Temple) केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है।
योगेश खुद घूमने और प्रकृति के बीच रहने का बहुत शौकीन हैं। योगेश का कहना है कि लोग उनकी होम स्टे सर्विस का प्रयोग कर प्रकृति के सुन्दर नज़रों को देख सकते हैं और पर्यटन स्थलों पर भी घूमने जा सकते हैं जोकि किमोठा के बहुत पास में हैं। इसके साथ ही पर्यटक योगेश की फार्मिंग भी देख सकते हैं और ये जान सकेंगे कि पहाड़ों में लोग कैसे रहते हैं।
उत्तराखंड में भी स्वरोजगार के बहुत से साधन हैं। उत्तराखंड पलायन की मार झेल रहा है। कोई भी खेतों में काम करना नहीं चाहता है। सब दिल्ली और मुंबई जैंसे बड़े शहरों में जाना चाहते हैं। उत्तराखंड के लोगों को अपनी खेती के काम में थोड़ा बदलाव करने जरुरत है जिससे उनके कमाई के और रास्ते खुल सकें। जिसका एक उदाहरण योगेश किमोठी खुद हैं जिन्होंने परम्परागत खेती ना करके फूल और सब्ज़ियों की खेती की जिसमे उन्हें रूचि थी।अपनी फूलों और सब्ज़ियों की खेती से वो अच्छा खासा कमा रहे हैं।
योगेश किमोठी के यूट्यूब चैनल से भी आप उन से जुड़ सकते हैं। लिंक निचे दिया गया है।
https://www.youtube.com/channel/UCrK-kMICTzaVwo3QhW1KNcg