ओणम 2024: ओणम हिंदुओं का त्यौहार है जो मुख्य रूप से केरल में मनाया जाता है। ओणम को थिरुवोनम (Thiruvonam) नाम से भी जाना जाता है। ओणम मलयाली लोगों में एक बहुत ही प्रशिद्ध त्यौहार है। ओणम 10 दिन तक चलने वाला त्यौहार है। यह त्यौहार राजा बलि के स्वागत में मनाया जाता है।
मलयालम कैलेंडर के अनुसार, ओणम चिंगम महीने में मनाया जाता है। चिंगम माह को सिम्हा और अवनि माह के नाम से भी जाना जाता है। ओणम चिंगम महीने में जब थिरुवोनम नक्षत्र सबसे अच्छी स्तिथि में होता है तब मनाया जाता है। थिरुवोनम नक्षत्र को अन्य हिंदू कैलेंडर में श्रवण के रूप में जाना जाता है।
ओणम कब है 2024 में (Onam kab hai 2024)
ओणम का उत्सव अथम दिन (Atham Day) से शुरू होता है और थिरुवोनम दिन (Thiruvonam) तक 10 दिनों तक जारी रहता है। अथम नक्षत्र (Atham Nakshatra) को हस्त नक्षत्र (Hasth Nakshatra) के रूप में भी जाना जाता है। ओणम अगस्त और सितंबर महीने में पड़ता है। इस साल 2024 थिरुवोनम त्यौहार 05 सितंबर से शुरू को होकर 17 सितंबर तक मनाया जायेगा।
- ओणम 2024 (Onam 2024): 15 सितंबर 2024
ओणम का शुभ मुहर्त 2024 (Onam/Thiruvonam Ka Shubh Muhrat 2024)
2024 में ओणम मानाने का थिरुवोनम नक्षत्र 07 सितंबर शाम के 04 बजे से शुरू हो कर 08 सितंबर दिन के 01 बजकर 46 मिनट तक है।
- थिरुवोनम नक्षत्र शुरू होगा: 14 सितंबर रात के 08 बजकर 32 मिनट से (14 September, 08 :32 PM)
- थिरुवोनम नक्षत्र खत्म होगा: 15 सितंबर शाम के 06 बजकर 49 मिनट तक (15 September, 06 :49 PM)
ओणम का त्योहार क्यों मनाया जाता है (Why is Celebrated Onam Festival)
ओणम भगवान विष्णु के वामन अवतार के प्रकट होने और असुर राजा महाबली के घर आगमन पर मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, असुर राजा महाबली ने सभी भगवानों पर विजय प्राप्त कर स्वर्ग लोक जीत लिया था। फिर सभी भगवान, भगवान विष्णु के पास जाते हैं और उन से मदद मांगते हैं।
भगवान विष्णु एक बौने ब्राह्मण के रूप में पृथ्वी पर प्रकट होते हैं। भगवान विष्णु के इस अवतार को वामन अवतार के नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु अपने वामन अवतार में महाबली के दरबार में पहुंचे। राजा महाबली असुर होते हुए भी बहुत दयालु और परोपकारी राजा था। महाबली राजा ने भगवान विष्णु से उनकी इच्छा पूछी, पूछा कि आपको क्या चाहिये। भगवान वामन ने तीन पग जमीन मांगी। राजा बलि ने उनकी इच्छा को हाँ कर दी। फिर भगवान वामन अपने असली रूप में आ गये और एक बोने ब्राह्मण से एक विशाल रूप धारण कर दिया। भगवान विष्णु ने एक बार में ही पृथ्वी को ले लिया और दूसरी बार में स्वर्गलोक को ले लिया। अब महाबली राजा पर कुछ ना बचा था तो राजा महाबली ने भगवान को अपना पैर उसके सर पर रखने के लिये कह दिया। जिससे राजा महाबली पाताल लोक पहुंच गये।
राजा महाबली की वचनबध्दता से खुश होकर भगवन वामन ने उनसे एक इच्छा पूछी, तो राजा महाबली ने साल में एक बार पृथ्वी पर आकर अपनी प्रजा से मिलने की इच्छा प्रकट की। भगवान वामन ने उनकी ये इच्छा मान ली और माना जाता है कि ओणम के दिन राजा महाबली पृथ्वी पर आते हैं और अपनी प्रजा से मिलते हैं और उनके घर भी जाते हैं।
ओणसद्या क्या है (what is Onasadya )
सद्या (Sadya) एक विशेष पारंपरिक भोजन है जो ओणम के शुभ त्योहार पर तैयार किया जाता है जिसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है। यह पारंपरिक रूप से मौसमी सब्जियों जैसे रतालू, ककड़ी, लौकी आदि के साथ बनाया जाता है। ओणसद्या को हाथ से खाया जाता है, इसमें आमतौर पर 25 से 30 चीजें शामिल होती हैं जिनका मीठा, खट्टा, नमकीन, कड़वा, तीखा स्वाद इसे संतुलित बनाता है।
ओणसद्या में चावल मुख्य रूप से बनाये जाते हैं, जिसे अन्य व्यंजनों के साथ परोसा जाता है जिन्हें सामूहिक रूप से कूटन (Kootan) कहा जाता है। ओणसद्या मेंबनाये जाने वाले ब्यंजन हैं, चावल(Rice), पारिप्पु (Parippu), रसम (Rasam), सांभर (Sambar), कलां (Kaalan), अवियल (Avial), ओलन (Olan), कूटटुकरी (Koottukari), एरिसेरी (Erissery), पचड़ी (Pachadi), पुलिसेरी (Pulisseri), थोरन पायसम (Thoran Payasam) मुख्य हैं तथा अन्य व्यंजनों में केला (Banana), अचार (Pickles), पापड़ (Papad), केले के चिप्स (Banana Chips), घी (Ghee), छाछ (Buttermilk) आदि शामिल हैं।
ओणम त्यौहार के दस दिनों का कार्यक्रम (Onam 10 Days Festival Schedule)
- Atham:अथम (04 September 2024)
- Chithira : चित्रा (05 September 2024)
- Chodhi : चोढ़ी (06 September 2024)
- Vishakam: विशाकामो (07 September 2024)
- Anizham : अनीझाम (08 September 2024)
- Thriketa : थ्रीकेता (09 September 2024)
- Moolam : मूलम (10 September 2024)
- Pooradam: पुरदाम (12 September 2024)
- Uthradom : उथराडोम (13 September 2024)
- Thiruvonam : थिरुवोनम (15 September 2024)
पहला दिन: अथम (Atham)
ओणम के पहले दिन, लोग अपने घरों को पीले फूलों से सजाकर उत्सव की शुरुआत करते हैं, जिसे पूकलम (Pookalam) के नाम से जाना जाता है। त्योहार के हर गुजरते दिन के साथ ये फूल आकार में बढ़ते हैं क्योंकि हर दिन इसमें एक नई परत जुड़ जाती है। यह सजावट राजा महाबली की आत्मा का स्वागत करने के लिए की जाती है, जिनके सम्मान में ओणम त्यौहार (Onam Festival) मनाया जाता है।
दूसरा दिन: चिथिरा (Chithira)
थिरुवोनम त्यौहार (Thiruvonam Festival) के दूसरे दिन को चिथिरा (Chithira) कहते हैं। इस दिन, भक्त पूरे घर की पारंपरिक सफाई करते हैं और पूकलम (Pookalam) में फूलों की एक और परत डाली जाती है। इसके साथ ही लोग मंदिर में पूजा करने भी जाते हैं।
तीसरा दिन: चोढ़ी (Chodhi)
चौड़ी ओणम त्योहार का तीसरा दिन है। इस शुभ अवसर पर लोग एक साथ मिलकर जश्न मनाते हैं और उपहार खरीदते हैं जिसे ओनाकोडी (Onakodi) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मुख्य तौर पर नये कपडे खरीदे जाते हैं। इसके साथ ही लोग नये कपडे और आभूषण एक दूसरे को उपहार में भी देते हैं। इस दिन महिलाएं कसवी साड़ी (Kasavi Saree) पहनती हैं, और पुरुष मुंडू (Mundu) खरीदते हैं और युवा लड़कियां पट्टू पावड़ा (Pattu Pavada) पहनती हैं।
चौथा दिन : विषकम (Vishakam)
विषकम (Vishakam) को ओणम के सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन से ओणसद्या (Onasadya) की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। इस दिन लोग अपने घरों में सब्ज़ियां, मसाले और अन्य सामान जमा करते हैं जिससे वे अलग-अलग तरह के व्यंजन बना सकें। वैसे तो हर परिवार में व्यंजनों की संख्या अलग-अलग होती है लेकिन उनमें से ज्यादातर 26 व्यंजन बनाते हैं।
पांचवे दिन: अनीझाम (Anizham)
अनीझाम के दिन वल्लमकली (Vallamkali) या सांप नाउ दौड़ (Snake Boat Race) को पंबा नदी (Pamba River) पर झंडी दिखाकर रवाना किया जाता है और पुकलम बड़ा हो जाता है। सांप नाउ दौड़ एक बहुत ही प्रशिद्ध और पुरानी नाउ दौड़ है।
छठा दिन: थ्रीकेता (Thriketa)
थ्रीकेता के दिन तक पूकलम बहुत बड़ा हो जाता है और पूकलम में कम से कम पांच से छह फूल जोड़े जाते हैं। लोगों और बच्चों को अपने काम से छुट्टी मिलते ही वे इस दिन को बहुत ही धूम धाम से मानते है।
सातवां दिन: मूलम (Moolam)
ओणम के सातवें दिन, परिवार एक-दूसरे से मिलने जाते हैं और अधिकांश मंदिर इस दिन ओणसाद्य देना शुरू करते हैं। लोग भी अपने घरों में ओणसद्या का एक छोटा रूप बनाते हैं। पुली काली (Puli Kali) और कैकोट्टिकली (Kaikottikali) जैसे पारंपरिक नृत्य रूपों का भी कई स्थानों पर आनंद लिया जाता है। सातवें दिन से राज्य को भी सजाया जाता है।
आठवां दिन: पुरदाम (Pooradam)
इस दिन महाबली और वामन की छोटी-छोटी मूर्तियों को घर के चारों ओर ले जाकर पुलकम के केंद्र में रखा जाता है। यह वह दिन है जब महाबली को लोगों के घरों में आने के लिए आमंत्रित किया जाता है। पुलकम के बीच में रखी इन मूर्तियों को ओणथप्पन भी कहा जाता है। इस दिन के बाद से पूकलम का आकार काफी बड़ा हो जाता है।
नौवां दिन: उत्तरदाम (Uthradam)
ऐसा माना जाता है कि नौवें दिन राजा महाबली राज्य में पहुंचते हैं। यह सबसे शुभ दिन माना जाता है और लोग ताजी सब्जियां खरीदते हैं और पारंपरिक भोजन बनाना शुरू करते हैं।
दसवां दिन: थिरुवोनम (Thiruvonam)
तिरुवोनम ओणम उत्सव का अंतिम दिन होता है। लोग अपने घरों को साफ करते हैं, मुख्य द्वार पर चावल के आटे का घोल लगाते हैं, स्नान करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं। माना जाता है कि इस दिन राजा महाबली सबके घर जाते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। इसी के साथ पूकलम पूरा हो जाता है और ओणम साध्य (Onam Sadya) उत्सव का आनंद लेते हैं। लोग त्योहार मनाने के लिए विभिन्न खेलों और गतिविधियों में भी शामिल होते हैं। परिवार की सबसे बड़ी महिला सदस्य भी अन्य सदस्यों को नए कपड़े भेंट करती है।
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