Dussehra/Vijayadashmi 2022: दशहरा हिन्दुओ का प्रसिद्ध त्यौहार है। दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। विजय दशमी का त्यौहार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि को मनाया जाता है। दशहरा का त्यौहार सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है। दशहरा नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। पहले नौ दिनों को महा नवरात्रि या शरद नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है और दसवें दिन दशहरा के रूप में मनाया जाता है। दशहरा के 20 दिन बाद दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।
इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है क्योकि भगवान श्री राम ने इस दिन रावण का वध किया था। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिए इसे “विजयदशमी” भी कहा जाता है। यह पर्व भारत में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।

दशहरा (विजयदशमी) कब है 2022 में (When is Dussehra/Vijayadashmi in 2022 )
दशहरा आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है। इस साल 2022 में दशहरा/विजयदशमी 05 अक्टूबर 2022 दिन बुधवार को मनाया जायेगा।
- दशहरा 2022 (Dussehra 2022): 05 अक्टूबर 2022
- दशहरा 2023 (Dussehra 2023): 24 अक्टूबर 2023
- दशहरा 2024 (Dussehra 2024): 12 अक्टूबर 2024
- दशहरा 2025 (Dussehra 2025): 02 अक्टूबर 2025
विजयदशमी (दशहरा) का शुभ मुहूर्त कब है (Vijayadashmi/Dussehra Ka Shubh Muhurt 2022)
- विजय दशमी मुहूर्त: विजय मुहूर्त शाम के 02 बजकर 07 मिनट से शुरू हो कर शाम के 02 बजकर 54 मिनट तक है
- अपराह्न पूजा का समय: अपराह्न पूजा का समय दिन के 01 बजकर 20 मिनट से शाम के 03 बजकर 41 मिनट तक है।
- दसमी तिथि शुरू होगी: दसमी तिथि 4 अक्टूबर को शाम के 02 बजकर 20 मिनट से शुरू होगी।
- दसमी तिथि ख़त्म होगी: दसमी तिथि 5 अक्टूबर को शाम के 12 बजकर 02 मिनट पर ख़त्म होगी।
दशहरा (विजयदशमी) क्यों मनाया जाता है (Dussehra/Vijayadashmi Kyon Manayi Jaati Hai)
- विजयदशमी नवरात्रि खत्म होने के अगले दसवें दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार माँ दुर्गा से संबंधित है। यह कहा जाता है कि भगवान् श्री राम जी ने नौ दिनों तक मां दुर्गा की अराधना की थी फिर दसवें दिन उन्होंने रावण का वध किया था और उन्हें विजय प्राप्त हुई।
- वहीं दूसरी मान्यता है कि मां दुर्गा ने नौ दिन की लड़ाई के बाद महिषासुर का वध किया था।
- एक अन्य कहानी यह है कि जब पांडव वनवास के लिए गए थे तो उन्होंने शमी/जम्मी के पेड़ पर अपने हथियार छुपाये थे। शमी/जम्मी के पेड़ ने वनवास के दौरान पांडवों की मदद की। ये हथियार दूसरों लोगों को एक मरे हुए आदमी की छाती की तरह दिखते थे। विजयादशमी के दिन पांडवों ने शमी/जम्मी से अपने हथियार वापस लिए थे। इस वजह विजयदशमी के दिन शमी/जम्मी पेड़ की पूजा की जाती है।
दशहरा/विजयदशमी कैसे मनाई जाती है (How to Celebrate Vijayadashmi/Dussehra)
विजयदशमी के त्यौहार को लोग देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरीके से मानते हैं।
उत्तर या पश्चिमी भारत के अधिकांश राज्यों में, दशहरा भगवान राम के सम्मान में मनाया जाता है। नवरात्री में जगह जगह राम लीला का मंचन किया जाता है। दशहरे के दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के बड़े पुतले जलाए जाते हैं।
दक्षिण भारत में कई जगहों पर ज्ञान की देवी मां सरस्वती के सम्मान में यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोग अपनी आजीविका के साधनों की सफाई और पूजा करते हैं और देवी सरस्वती का आशीर्वाद मांगते हैं।
गुजरात में, लोग नवरात्रों के नौ दिनों के लिए उपवास रखते हैं और देवी दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा करते हैं। इन नौ दिनों में डांडिया और गरबा खेला जाता है। दसवें दिन विजयदशमी को माँ दुर्गा की मूर्ति को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है।
पश्चिम बंगाल में नौ दिन तक दुर्गा पूजा चलती है और दसवें दिन विजयदशमी को समाप्त होती है। विजयादशमी को बिजॉय दशमी (Bijoy Dashami) भी कहा जाता है। जिसमें मां दुर्गा की मिट्टी की मूर्तियों को जल में विसर्जित कर दिया जाता है और इस प्रकार देवी को विदाई दी जाती है। विसर्जन से ठीक पहले, बंगाली महिलाएं सिंदूर खेला में शामिल होती हैं, जिसमें वे एक-दूसरे पर सिंदूर लगाते हैं और लाल कपड़े पहनती हैं – जो मां दुर्गा की जीत का प्रतीक है।