हरतालिका तीज कब है 2024 में, हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त और व्रत कथा| Hartalika Teej 2024

Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज एक हिंदू त्योहार है जिसमें भारतीय महिलाएं विवाह उपरांत परिवार के सुख और शांति के लिए प्रार्थना करती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती है। यह त्यौहार श्रावण महीने में आता है। ज़्यादातर हरतालिका तीज उत्तर भारत और नेपाल , राजस्थान, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में उत्साह के साथ मनाया जाता है।

यह त्योहार पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती के शिव के साथ पुनर्मिलन को समर्पित करता है। उनके पिता के आशीर्वाद से माता पार्वती का शिव से साथ विवाह हुआ था। यहाँ हरियाली तीज के बारे में पढ़ें

हरतालिका तीज कब है 2024 में (Hartalika Teej kab hai 2024 mein)

हरतालिका तीज का व्रत हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर मनाया जाता है। इस वर्ष हरतालिका तीज शुक्रवार, सितम्बर 6, 2024 को है।

  • हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2024): शुक्रवार,सितम्बर 6, 2024
  • हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2025): मंगलवार, अगस्त 26, 2025
  • हरतालिका तीज (Hartalika Teej 2026): सोमवार, सितम्बर 14, 2026

हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त (Hartalika Teej Ka Shubh Muhurat 2024)

प्रात: काल हरतालिका पूजा मुहूर्त:सुबह 06:02 से सुबह के 08:33 तक
                                         अवधि:  02 घण्टे 31 मिनट
तृतीया तिथि प्रारंभ:सितम्बर 05, 2024 को दिन के 12:21 से
तृतीया तिथि समाप्त:सितम्बर 06, 2024 को 03:01 शाम तक

हरतालिका तीज क्यों मनाया जाता है

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इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, कुछ जगहों पर महिलाएं फलहार व्रत भी रखती हैं। इस दिन भक्त भगवान शिव, माता पार्वती और श्री गणेश की पूजा करते हैं क्योकि जो भक्त यह व्रत रखता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।

हरतालिका तीज का इतिहास और महत्व

हरतालिका तीज, हरियाली तीज और कजरी तीज में हरतालिका तीज का विशेष महत्‍व है। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। वर्षों तपस्या करने के बाद भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि और हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग बनाया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि भर भजन कीर्तन किया। माता पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज में गहरी आस्‍था है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्‍यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्‍य का वरदान देते हैं। वहीं कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्‍त‍ि होती है।

हरतालिका तीज व्रत कथा (Hartalika Teej ki Vart Katha)

एक दिन नारद जी ने हिमालय राज को बोला कि भगवान विष्णु आपकी पुत्री पार्वती से विवाह करना चाहते हैं। वहीं, दूसरी ओर भगवान विष्णु को जाकर कहा कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे करना चाहते हैं। ऐसा सुनकर भगवान विष्णु ने हां कर दी। नारद जी ने पार्वती को जाकर कहा कि भगवान विष्णु के साथ आपका विवाह तय कर दिया गया है। ऐसा सुनकर माता पार्वती निराश हो गईं और एक एकांत स्तान पर जाकर अपनी तपस्या फिर से शुरू कर दी। माता पार्वती सिर्फ भगवान शिव से ही विवाह करना चाहती थीं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए माता पार्वती ने मिट्टी के शिवलिंग का निर्माण किया। पौराणिक मान्यता के अनुसार उस दिन हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का दिन था। माता पार्वती ने उस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की स्तुति की। तब भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया।

Manisha
Manisha

मुझे भारतीय त्योहारों और भारत की संस्कृति के बारे में लिखना पसंद है। में आप लोगों से भारत की संस्कृति के बारे में ज्यादा से ज्यादा शेयर करना चाहती हूँ। इसलिए मैंने ये ब्लॉग शुरू की है। पेशे से में एक अकाउंटेंट हूँ।

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