
दिवाली कब है 2022 में | जानें लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त कब है | Diwali 2022
Diwali 2022: दिवाली भारत के लोगों का एक प्रसिद्ध त्यौहार है, यह बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। दिवाली को दीपावली (Deepawali) के नाम से भी जाना जाता है। दीपावली दीपो का त्यौहार है जिसे ‘अंधकार पर प्रकाश की विजय’ के रूप में मनाया जाना जाता है। लोग अपने घरों को साफ करते हैं और उसे दीपों से सजाते हैं।
दिवाली दशहरे (Dussehra) के 20 दिन बाद कार्तिक मास की अमावस्या (Kartik Amavasya) को मनाया जाती है जो कि अक्टूबर और नवंबर के महीने में पड़ती है। ये बुरायी पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाई जाती है। दीपावली (Deepavali) के दिन भगवान गणेश (Lord Ganesh) और माता लक्ष्मी (Mata Laxmi) की पूजा की जाती है। जाने कब से शुरू हो रही है नवरात्री और कब हो रही है खत्म
दिवाली कब है 2022 में (Diwali Kab hai 2022 mein)
दिवाली के त्यौहार को मनाने के लिये हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म का कोई बंधन नहीं है। घर में तरह-तरह की मिठाइयां बनायी जाती हैं। घर के सभी लोग नये कपड़े पहनते हैं और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को दिवाली उपहार और मिठाई देते हैं। दिवाली (Diwali) कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। जो कि 24 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार को पड़ेगी।
- दिवाली 2022 (Diwali 2022 Date): 24 अक्टूबर 2022
- दिवाली 2023 (Diwali 2023 Date): 12 नवंबर 2023
- दिवाली 2024 (Diwali 2024 Date): 01 नवंबर 2024
- दिवाली 2025 (Diwali 2025 Date): 21अक्टूबर 2025
दिवाली पूजा का शुभ महूर्त 2022 (Diwali Puja ka Shubh Muhurat 2022)
- लक्ष्मी पूजा (Laxmi Puja Date 2022): 24 अक्टूबर 2022 दिन सोमवार
- लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त (Laxmi Puja Shubh Muhurat 2022): लक्ष्मी पूजा शाम के 06:53 से लेकर शाम के 08:16 मिनट तक है।

Diwali
दिवाली की पूर्ण जानकारी (Diwali Dates 2022 – Complete Information)
हर साल दिवाली 5 दिन की होती है यह धनतेरस से त्यौहार शुरू होकर भाई दूज को समाप्त होती है आगे बताएंगे की दिवाली के त्यौहार में कौन से देवताओ की पूजा कब होती है।
पहला दिन: धनतेरस (Dhanteras) – 22 अक्टूबर 2022 दिन शनिवार
दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस (Dhanteras) मनाने की परंपरा है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर धन के देवता “भगवान कुबेर” (Lord Kuber) के साथ देवी लक्ष्मी (Goddess Laxmi) की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर कुछ खरीदने से समृद्धि आती है। भारत में पारंपरिक रूप से सोना चांदी, बर्तन आदि के साथ खरीदा जाता है।
धनतेरस का शुभ मुहूर्त 2022 (Dhanteras Ka Shubh Muhurat 2022)
- धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त: धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के 07:01 से लेकर शाम के 08:17 तक है। इस 1 घंटा 16 मिनट की समय सीमा में धनतेरस की पूजा कभी भी की जा सकती है। ये कार्यकाल धनतेरस की पूजा के लिये शुभ समय है।
दूसरा दिन: छोटी दिवाली (Chotti Diwali) – 23 अक्टूबर दिन रविवार
छोटी दिवाली को काली चौदस (Kali Chaudas) या भूत चतुर्दशी (Bhut Chaturdashi) नरक चतुर्दशी या (Narak Chaturdashi) भी कहा जाता है। इस दिन श्री कृष्ण ने कार्तिक चतुर्दशी के दिन नरकासुर राक्षस का वध किया था और 16000 कन्याओं को नरकासुर से बंधन मुक्त करवाया और उन सभी से शादी करके यह छोटी दिवाली के रूप में मनाई जाती है। छोटी दिवाली में भी घरों में दीप जलाये जाते है ।
काली चौदस का शुभ मुहूर्त 2022 (Kali Chaudas Ka Shubh Muhurat 2022)
- काली चौदस का शुभ मुहूर्त: काली चौदस पूजा का शुभ मुहूर्त रात के 11:40 से लेकर रात के 12:31 तक है। इस 52 मिनट की समय सीमा में यह पूजा कभी भी की जा सकती है।
तीसरा दिन: लक्ष्मी पूजा (Laxmi Puja) – 24 अक्टूबर दिन सोमवार
यह दिन अमावस्या को पड़ता है। यह दीपावली का मुख्य दिन है। पूरे भारत में इस दिन देवी लक्ष्मी (Goddess of Wealth) की पूजा की जाती है। लोग सुबह जल्दी उठकर अपने घरों की सफाई करते हैं, स्नान करते हैं और अपने पूर्वजों की भी पूजा करते हैं। चूंकि यह एक अमावस्या का दिन है, कुछ मामलों में लोग अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध भी करते हैं। पूरे दिन के उपवास (जरूरी नहीं) के बाद लोग शाम को लक्ष्मी पूजा करते हैं और अपना उपवास तोड़ते हैं। लोग इस दिन मिठाई और उपहार भी बांटते हैं।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 2022 (Laxmi Pooja Ka Shubh Muhurat 2022)
- लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त: लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के 06:53 से लेकर शाम के 08:16 तक है। इस 1 घंटा 23 मिनट की समय सीमा में लक्ष्मी पूजा कभी भी की जा सकती है।
चौथा दिन: गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) – 25 अक्टूबर दिन मंगलवार
आमतौर पर गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन होती है। कभी-कभी यह एक दिन के अंतराल के बाद भी आ सकता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने भगवान इंद्र को हराया था। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा (Annakut Puja) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण को अनाज से बने भोजन का भोग लगाते हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में, उसी दिन को बाली प्रतिपदा या बाली पड़वा (Bali Pratipada or Bali Padva) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन राजा बलि (King Bali) पर भगवान वामन (Lord Vamana) (भगवान विष्णु के अवतार) की जीत के लिए मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन असुर राजा बलि पृथ्वी से पाताल लोक में जाते हैं। उसी दिन को गुजराती नव वर्ष (Gujarati New Year) के रूप में भी मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2022 (Govardhan Puja Ka Shubh Muhurat 2022)
- गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त:
- गोवर्धन पूजा प्रातःकाल का शुभ मुहूर्त सुबह के 06 बजकर 36 मिनट से लेकर सुबह के 08 बजकर 47 मिनट तक है।
- गोवर्धन पूजा सायं काल का शुभ मुहूर्त शाम के 03 बजकर 22 मिनट से लेकर शाम के 05 बजकर 33 मिनट तक है।
पांचवां दिन: भैया दूज (Bhaiya Dooj) – 26 अक्टूबर दिन बुधवार
भैया दूज भाइयों और बहनों का दिन है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी आयु और समृद्ध जीवन के लिए टीका संस्कार कर प्रार्थना करती है और उसकी पूजा करती है। यह रक्षा बंधन के त्योहार के समान है जहां एक बहन अपने भाई को राखी बांधती है और उसकी समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है। बदले में, उसका भाई हर मोर्चे पर उसकी सुरक्षा का वादा करता है। भैया दूज को भाऊ बीज (Bhau Beej), भातरा द्वितीया (Bhatra Dwitiya), भाई द्वितीया (Bhai Dwitiya) और भथरू द्वितीया (Bhathru Dwithiya) के नाम से भी जाना जाता है।
भैया दूज पूजा का शुभ मुहूर्त 2022 (Bhaiya Dooj Pooja Ka Shubh Muhurat 2022)
- भैया दूज पूजा का शुभ मुहूर्त: भैया दूज पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के 01 बजकर 10 मिनट से लेकर शाम के 03 बजकर 21 मिनट तक है।

Deepawali
दिवाली क्यों मनाई जाती है (Why is Diwali Celebrated)
दिवाली के मनाने के पीछे बहुत सारी कथाएं कही जाती हैं। मुख्य कथाएं निम्नप्रकार से हैं।
- जब राजा दशरथ के पुत्र प्रभु श्री राम ने रावण को मार डाला और माता सीता को उनके चंगुल से छुड़ाया और 14 साल बाद बनवास से लौटे, तो अयोध्या के लोग उन्हें देखकर बहुत खुश हुए। उनके आगमन की खुशी में पूरे प्रदेश में दीप जल रहे थे। इसलिए हर साल कार्तिक अमावस्या को दिवाली को बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। इसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता है।
- द्वापर युग में, भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण ने दुष्ट राजा नरकासुर को मार डाला, जिसने 16,000 लड़कियों को बंदी बना लिया था। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसलिये भी दीपावली मनाई जाती है।
- ऐसा माना जाता है कि दिवाली को उस दिन के रूप में मनाया जाता है जब देवी लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन से हुआ था और दीपावली की रात देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपना पति चुना और उनसे विवाह किया।
- देवताओं के राक्षसों के साथ युद्ध हारने के बाद, देवी काली के माथे से देवी काली का जन्म हुआ। काली रूप, जिसे उन्होंने सभी राक्षसों को मारने और पृथ्वी को बचाने के लिए धारण किया था। हत्या ने उसकी खून की प्यास को बढ़ा दिया। माँ काली के इस रौद्ररूप को रोकने के लिए भगवान शिव ने हस्तक्षेप किया और उसके सामने लेट गये। महाकाली ने जब भगवान शिव के ऊपर पैर रखा तो उसे एहसास हुआ कि वह भगवान शिव पर खड़ी है और उसका क्रोध शांत हो गया है। माँ दुर्गा के काली अवतार के रूप में दिवाली मनाई जाती है।
- पांचों पांडव भाई धोके से जुए में शर्त हार जाते हैं, जिसके बाद उनके कौरव चचेरे भाइयों ने उन्हें 12 साल के लिए निर्वासित कर दिया था। हिंदू महाकाव्य महाभारत के अनुसार, पांडव कार्तिक अमावस्या पर हस्तिनापुर वापस लौट आए थे।
दिवाली कैसे मानते है (Diwali Kaise Manayi Jati hai)
दीपावली का प्रमुख दिन तीसरा दिन होता है ,दीपावली के 5 दिन (धनतेरस ,छोटी दिवाली,अमावस्या ,कार्तिक शुकल प्रतिपदा ,भाई दूज ) मनाया जाता है। इस दिन घरो में साफ़ सफाई की जाती है और दीपों से सजाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है। दिवाली में लोग नए कपडे पहनते है और घरो में मिठाई बाँटते है और पटाके भी जलाये जाते हैं यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।